Ankit Karma- the title

about ankit karrma



अजीब खेल है ये मोहब्बत का,
किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला।

उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी,
उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी।

तमाम नींदें गिरवी हैं हमारी उसके पास,
जिससे ज़रा सी मुहब्बत की थी हमनें।

कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ,
उसने जब पूछा.. कहो कैसे आना हुआ।

हाथों की लकीरे पढ़ कर रो देता है दिल,
सब कुछ तो है मग़र तेरा नाम क्यूँ नहीं है।

इश्क अभी पेश ही हुआ था इंसाफ के कटघरे में,
सभी बोल उठे यही कातिल है.. यही कातिल है।

ना जाने वो कितनी नाराज़ है मुझसे..
ख्वाब में भी मिलती है तो.. बात नहीं करती।

जी करता है तेरे संग भीगू मोहब्बत की बरसात मे,
और रब करे.. उसके बाद तुझे इश्क़ का बुखार हो जाए।

उनका इल्ज़ाम लगाने का अंदाज ही कुछ गज़ब का था,
हमने खुद अपने ही ख़िलाफ गवाही दे दी।

ज़िंदगी में मोहबत का पौधा लगाने से पहले ज़मीन परख लेना,
हर एक मिटटी की फितरत में वफ़ा नहीं होती दोस्तो।

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